

पैगाम अपना अपना इस दुनिया में
हर कोई लेकर आता है ।
अमर वही, जो अपनें पैगाम को ,
सही पढ पाता है ।
शीशे के सामने खड़े होने से कुछ् दिखेगा इतना साफ नहीं ।
शीशे के टुकड़े पर चलोगे,
तो ही फिर यह कह सकोगे,
“मैं क्या हूँ अब देखिये सभी “
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